Next Story
Newszop

गुटखा और तंबाकू: स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा और समाज पर प्रभाव

Send Push
गुटखा और तंबाकू के दुष्प्रभाव

Gutkha Tambaku Ke Nuksan

Gutkha Tambaku Ke Nuksan

गुटखा और तंबाकू के दुष्प्रभाव: गुटखा और तंबाकू न केवल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं, बल्कि ये समाज की नींव को भी कमजोर कर रहे हैं। हर साल भारत में लाखों लोग तंबाकू से संबंधित बीमारियों का शिकार होते हैं, जिनमें मुँह का कैंसर सबसे प्रमुख है। चिंता की बात यह है कि इसकी लत लगने में बहुत कम समय लगता है, केवल 40 दिन में कोई भी व्यक्ति इस लत का शिकार हो सकता है।


गुटखा के घटक गुटखा के घटक

गुटखा एक मिश्रण है जिसमें मुख्य रूप से तंबाकू, सुपारी, चूना, कत्था और विभिन्न फ्लेवरिंग एजेंट शामिल होते हैं। ये सभी तत्व मिलकर एक ऐसा रासायनिक मिश्रण बनाते हैं जो न केवल नशा देता है, बल्कि गंभीर बीमारियों का कारण भी बनता है। तंबाकू और सुपारी में कैंसरजन्य तत्व होते हैं, जबकि चूना और फ्लेवरिंग एजेंट मुँह, मसूड़ों और आंतरिक अंगों पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।


निकोटिन का प्रभाव निकोटिन और उसका प्रभाव

तंबाकू में मौजूद निकोटिन मस्तिष्क पर सीधा प्रभाव डालता है। यह रसायन मस्तिष्क में डोपामिन हार्मोन की मात्रा को बढ़ाता है, जिससे व्यक्ति को अल्पकालिक सुख और तनाव से राहत मिलती है। यह अल्पकालिक आनंद व्यक्ति को बार-बार तंबाकू का सेवन करने के लिए प्रेरित करता है, जिससे वह मानसिक और शारीरिक रूप से इस पर निर्भर हो जाता है।


निकोटिन पर निर्भरता निकोटिन पर निर्भरता

गुटखा या तंबाकू का लगातार सेवन मस्तिष्क में निकोटिन रिसेप्टर्स की संख्या को बढ़ा देता है। वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार, केवल 2 से 4 हफ्तों में मस्तिष्क में इन रिसेप्टर्स की संख्या बढ़ने लगती है, जिससे निकोटिन की तलब और निर्भरता बढ़ जाती है। यही कारण है कि प्रारंभिक लत को नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है।


भारत में तंबाकू का उपभोग भारत में तंबाकू का उपभोग

भारत तंबाकू उत्पादों के सेवन में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है। यहाँ हर दिन लाखों लोग गुटखा, पान मसाला, बीड़ी और सिगरेट का सेवन करते हैं। यह समस्या केवल ग्रामीण क्षेत्रों तक सीमित नहीं है, बल्कि शहरी क्षेत्रों में भी फैली हुई है। विशेषकर ग्रामीण पुरुषों में तंबाकू का उपभोग 42.7% तक पहुँच चुका है।


कैंसर के मामले कैंसर के मामले

गुटखा और अन्य चबाने योग्य तंबाकू उत्पादों का सबसे गंभीर दुष्परिणाम कैंसर है। खासकर मुँह, गले, फेफड़े और पेट का कैंसर गुटखा सेवन करने वालों में अधिक पाया जाता है। भारत में तंबाकू से जुड़े मुख कैंसर के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है।


तंबाकू से होने वाली मौतें तंबाकू से होने वाली मौतें

WHO और भारत सरकार की रिपोर्टों के अनुसार, हर साल लगभग 13.5 लाख लोग तंबाकू से जुड़ी बीमारियों के कारण अपनी जान गंवाते हैं। इनमें से अधिकांश मौतें हृदय रोग, कैंसर और फेफड़ों की बीमारियों के कारण होती हैं।


गुटखे पर प्रतिबंध गुटखे पर प्रतिबंध

भारत में गुटखा एक खाद्य उत्पाद के रूप में वर्गीकृत है और इसके निर्माण, बिक्री और वितरण पर कड़े प्रतिबंध हैं। हालांकि, कई व्यापारी कानून को धता बताते हुए 'मिक्स एंड मैच पैकिंग' जैसी तरकीबें अपनाते हैं, जिससे गुटखा का गैरकानूनी व्यापार जारी है।


गुटखा और तंबाकू का आर्थिक बोझ गुटखा और तंबाकू का आर्थिक बोझ

गुटखा और तंबाकू न केवल स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाते हैं, बल्कि देश की वित्तीय व्यवस्था पर भी भारी बोझ डालते हैं। इनसे जुड़ी बीमारियों के इलाज में लाखों रुपये खर्च होते हैं, जो राष्ट्रीय स्वास्थ्य तंत्र पर भी दबाव डालते हैं।


किशोरों में गुटखे की लत किशोरों में गुटखे की लत

गुटखे के आकर्षक पैकेट और सस्ते दाम किशोरों को आकर्षित करते हैं। विशेषकर 13 से 17 वर्ष के बच्चे इस दिखावे में फंस जाते हैं, जिससे उन्हें कम उम्र में ही तंबाकू की आदत लगने लगती है।


समाज और परिवार पर प्रभाव समाज और परिवार पर प्रभाव

तंबाकू से होने वाली बीमारियाँ न केवल स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं, बल्कि परिवारों पर भी आर्थिक बोझ डालती हैं। तंबाकू सेवन करने वाले सदस्य की देखभाल में परिवार के अन्य सदस्य मानसिक और शारीरिक थकान का सामना करते हैं।


Loving Newspoint? Download the app now